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यह तो हम सभी जानते हैं कि हर आदमी किसी न किसी बात को लेकर दुखी व तनावपूर्ण है पर क्या आप जानते हैं कि अगला हर पांचवा आदमी किसी न किसी मनोरोग से पीड़ित है जो वह खुद नहीं जानता? जी हां कई परिणाम ऐसे हैं जो इस बात का प्रमाण देते हैं। तनाव के कारण कोई आत्महत्या कर रहा है तो कोई अपना घर छोड़कर भागा हुआ है। कोई दंगे फैलाने में लगा है तो कोई बलात्कार कर रहा है। किसी को किसी भय ने घेर रखा है तो कोई किसी लत की गिरफ्त में है। किसी का आत्मविश्वास लड़खड़ा रहा है तो किसी की याद्दाश्त जवाब देने लगी है। किसी को तन्हा रहने का दुख है तो किसी को किसी के साथ रहने का दुख है। कोई खुद को मार डालना चाहता है तो किसी के जीने का मकसद सामने वाले को मारना है। सच तो यह है यहां गंवाने वाला तो दुखी है ही कमाने वाला भी संतुष्ट नजर नहीं आ
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